Radha Krishn: Krishn - Arjun Gatha S3 Episode 03 02 November 2020 Full Episode In Hindi on Hostar Radha Krishna Serial.
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जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Radha Krishn: Krishn - Arjun Gatha Arjun S3 - E03 - 2 Nov episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया की अर्जुन सभी से मिलते हैं दुर्योधन अर्जुन को देख क्रोधित हो जाते हैं. अर्जुन राधा ओर बलराम को प्रणाम करता है. तब बलराम कहता है की तुम सही समय पर आये हो.
सुभद्रा ओर दुर्योधन का विवाह होने जा रहा है. यह सुनकर अर्जुन चोक जाते है. सुभद्रा अर्जुन को कहती है कि आज तक मैंने दुर्योधन जैसा मल युद्धा नहीं देखा.
अर्जुन कहते हैं तब शायद आप मेरे भीम भैया से नहीं मिली. दुर्योधन और भी अधिक क्रोधित हो जाते हैं और वह अर्जुन को युद्ध के लिए आवाहन देते हैं.
अर्जुन सुभद्रा से कहते हैं जहां प्रेम और विश्वास होता है वहां पराक्रम की आवश्यकता नहीं होती. अर्जुन दुर्योधन से कहता है की मुझे तुम्हारे साथ युद्ध नही करना.
तुम अपनी शक्ति का प्रदशन सुभद्रा के सामने करना चाहते हो. तब दुर्योधन कहता है की तुम डर गये? तब अर्जुन कहता है की माघव ने मुझे जो सिखाया उससे मे ओर अधिक बुध्दिमान हो गया.
दुसरी ओर पौड्रक ओर कृष्ण आमने सामने होते है. कृष्ण कहते है की तुम ओर दुर्योधन अर्जुन के सामने टिक ही नही पाओगे. तुम उसके सामने केवल ऐक शुन्य हो.
यह सुनकर पौड्रक काफि क्रोधित हो जाता है ओर कहता है की तुमने भगवान तुलना ऐक तुच्छ मनुष्य से की है. मे चाहु तो तुझे अभी भष्म कर सकता हु. किन्तु मे ऐसा नही करुगा.
फिर पौड्रक कहता है तुम्हारे उस अर्जुन को मे अपने पैरो के निचे ला दुगा. तब कृष्ण कहते है प्रयास करना है तो करलो क्या पता वो भयभीत हो जाये.
तब पौड्रक कहता है की केवल भयभीत नही होगा बल्की मेरी आदेश का पालन भी करेगा. फिर तुम यहा माखन ढुढना. फिर पौड्रक वहा से चला जाता है.
फिर अर्जुन पौड्रक से मिलता है. तब पौड्रक अर्जुन से कहता है आईये अर्जुन! यह सुनकर अर्जुन काफी चौक जाते है.
तब राधा पुछती है की क्या हुआ अर्जुन? तब अर्जुन बताते है की पहली बार माधव ने मुझे पार्थ के अलावा अर्जुन कहा है और वह अपना सिंहासन भी नहीं त्यागी मुझे लगा वह मुझे लगाएंगे.
पौड्रक कहता है की तुम यहा क्यो आये हो. तब अर्जुन कहता है की आपने ही तो कहा हमारी अगली मुलाकात द्वारिका मे होगी.
तब पौड्रक कहता है वह मेरे मुह से ऐसे ही निकल गया था. तब अर्जुन कहता है की आप मुझे बताये मुझे किस लिये बुलाया.
तब पौड्रक कहता है की मे तुम्हे मेरी द्वारिका दीखाना चाहता था. तुम्हारा इन्द्रप्रस्त इस द्वारिका की सामने कुछ भी नही है. यह पुरी द्वारिका मेने अपने हाथो से बनाई है.
फिर पौड्रक कहता है की मेरे ओर दुर्योधन के बीच अब सन्धि हो चुकी है. इसलिए अबसे तुम्हारे ओर दुर्योधन के बिच जो भी चल रहा है. वह तुम भुल जाओ.
तुम पाडंवो को दुर्योधन को अपना राजा मान लेना होगा.
अभी तुम्हारा इंद्रप्रस्थ हस्तिनापुर मे ही है. इसलिए तुम सब का राजा दुर्योधन ही है.
तुम्हे इंन्द्रप्रस्थ मिला इसलिए तुम सब राजा नही बन जाते. यह सब सुनकर अर्जुन क्रोधित हो जाते हैं और आवेश में आकर घोषणा कर देते हैं.
वह इंद्रप्रस्थ केलिए राजश्री यग्य करायेगे. जिसमे समस्त भारतवर्ष ऐकत्रित होगा. यह सुनकर पौड्रक क्रोधित होकर कहता है की तुम कृष्ण का आदेश नही मानोगे.
तब अर्जुन कहते है की आपने ही मुझे यह सब सिखाया है. फिर अर्जुन क्रोधित होकर वहा से चला जाता है.
फिर सुभद्र अर्जुन के पास आकर कहती है की आपने मुझे अपेक्षा ओर प्रेम के बिच्च का अन्तर सिखाया है. तब अर्जुन कहता है मेने वही ही किया जो मेरे माघव ने मुझे सिखाया है.
फिर अर्जुन वहा से चले जाते है ओर सुभद्रा अर्जुन को देखते ही रहती है. तब वहा राधा आती है ओर कहती है लगता है की तुम अब अर्जुन से भी प्रभावित हो गई हो.
सुभद्रा कहती है की मे क्या करु अर्जुन के व्यक्तित्व मे अदभुत तेज है. परंतु मुझे मेने दुर्योधन को भी पसद किया है. तब राधा कहती है की अपने ह्रदय की सुनो वह तुम्हे सही मार्ग दीखायगा.
दूसरी तरफ अर्जुन अर्धिक विचलित होते हैं. राधा अर्जुन के कक्ष में आती हैं. अर्जुन राधा से कहते हैं कि वह हमे माघव से मिलवा दीजिए.
राधा कहती है की तुम अभी तो मिले हो. तब अर्जुन कहते है की द्वारिका जो कृष्ण है वह मेरे माधव को ही नहीं सकते.
अर्जुन कहते है की आप जानते है की वह माघव नही है. वह कोई ओर है. राधा काफी प्रसन्न हो जाती है ओर कहती है की तुम कृष्ण के सच्चे भक्त हो.
राधा कहती है तुम कृष्ण को एक भक्त की आखो से देखते हो ओर मे कृष्ण को प्रेम की आखो से देखती हु. यह कृष्ण नहीं है लेकिन तुम से जल्द ही मिलेंगे वहीं.
दूसरी तरफ कृष्ण के लिए राधा माखन बना कर ले जाती है कृष्ण राधा से कहते हैं इतना समय क्यों लगा दिया मुझे कितना भूख लगा है.
अब जल्दी से मुझे माखन खिलाओ राधा कहती हैं कि इतने सारे पहरेदार खड़े थे कितना बच बचाकर यहां तक आई हु.
राधा कृष्ण को माखन खिलाती हैं फिर बातें शुरू होती है कृष्ण कहते हैं तो मेरा आधा काम पोड्रक ने कर दिया. अर्जुन ने राज्य की घोषणा कर दी है.
बाकी का आधा काम सुभद्रा को करना है. तब राधा कहती है वह दुर्योधन से प्रभावित हो चुकी है. यदी सुभद्रा को दुर्योधन से प्रेम हो गया तो?
तो कृष्ण वचन देते है की यदी ऐसा हुआ तो मे सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करवाउगा. ओर आज का episode यही पर खत्म होता है.
हां कर दिया तो क्या होगा यदि शिकार करता है वही होगा इतना ही इसमें दिखाया गया है कि शुरू होती है
कल के episode मे दीखाया जायेगा की बलराम सुभद्रा से पुछता है की तुम दुर्योधन से विवाह करना है? तब सुभद्रा दुर्योधन से विवाह करने केलिए मना कर देती हैं.
तब बलराम कहता है की तो मेरे वचन का क्या होगा? तब वहा श्री कृष्ण आ जाते है ओर कहते है की आपको ऐसा वचन नही लेना चाहिए था. तब शकुनि कहता है की यह पोड्रक की मती भ्रष्ट हो गई है.
सुभद्रा ओर दुर्योधन का विवाह होने जा रहा है. यह सुनकर अर्जुन चोक जाते है. सुभद्रा अर्जुन को कहती है कि आज तक मैंने दुर्योधन जैसा मल युद्धा नहीं देखा.
अर्जुन कहते हैं तब शायद आप मेरे भीम भैया से नहीं मिली. दुर्योधन और भी अधिक क्रोधित हो जाते हैं और वह अर्जुन को युद्ध के लिए आवाहन देते हैं.
अर्जुन सुभद्रा से कहते हैं जहां प्रेम और विश्वास होता है वहां पराक्रम की आवश्यकता नहीं होती. अर्जुन दुर्योधन से कहता है की मुझे तुम्हारे साथ युद्ध नही करना.
तुम अपनी शक्ति का प्रदशन सुभद्रा के सामने करना चाहते हो. तब दुर्योधन कहता है की तुम डर गये? तब अर्जुन कहता है की माघव ने मुझे जो सिखाया उससे मे ओर अधिक बुध्दिमान हो गया.
दुसरी ओर पौड्रक ओर कृष्ण आमने सामने होते है. कृष्ण कहते है की तुम ओर दुर्योधन अर्जुन के सामने टिक ही नही पाओगे. तुम उसके सामने केवल ऐक शुन्य हो.
यह सुनकर पौड्रक काफि क्रोधित हो जाता है ओर कहता है की तुमने भगवान तुलना ऐक तुच्छ मनुष्य से की है. मे चाहु तो तुझे अभी भष्म कर सकता हु. किन्तु मे ऐसा नही करुगा.
फिर पौड्रक कहता है तुम्हारे उस अर्जुन को मे अपने पैरो के निचे ला दुगा. तब कृष्ण कहते है प्रयास करना है तो करलो क्या पता वो भयभीत हो जाये.
तब पौड्रक कहता है की केवल भयभीत नही होगा बल्की मेरी आदेश का पालन भी करेगा. फिर तुम यहा माखन ढुढना. फिर पौड्रक वहा से चला जाता है.
फिर अर्जुन पौड्रक से मिलता है. तब पौड्रक अर्जुन से कहता है आईये अर्जुन! यह सुनकर अर्जुन काफी चौक जाते है.
तब राधा पुछती है की क्या हुआ अर्जुन? तब अर्जुन बताते है की पहली बार माधव ने मुझे पार्थ के अलावा अर्जुन कहा है और वह अपना सिंहासन भी नहीं त्यागी मुझे लगा वह मुझे लगाएंगे.
पौड्रक कहता है की तुम यहा क्यो आये हो. तब अर्जुन कहता है की आपने ही तो कहा हमारी अगली मुलाकात द्वारिका मे होगी.
तब पौड्रक कहता है वह मेरे मुह से ऐसे ही निकल गया था. तब अर्जुन कहता है की आप मुझे बताये मुझे किस लिये बुलाया.
तब पौड्रक कहता है की मे तुम्हे मेरी द्वारिका दीखाना चाहता था. तुम्हारा इन्द्रप्रस्त इस द्वारिका की सामने कुछ भी नही है. यह पुरी द्वारिका मेने अपने हाथो से बनाई है.
फिर पौड्रक कहता है की मेरे ओर दुर्योधन के बीच अब सन्धि हो चुकी है. इसलिए अबसे तुम्हारे ओर दुर्योधन के बिच जो भी चल रहा है. वह तुम भुल जाओ.
तुम पाडंवो को दुर्योधन को अपना राजा मान लेना होगा.
अभी तुम्हारा इंद्रप्रस्थ हस्तिनापुर मे ही है. इसलिए तुम सब का राजा दुर्योधन ही है.
तुम्हे इंन्द्रप्रस्थ मिला इसलिए तुम सब राजा नही बन जाते. यह सब सुनकर अर्जुन क्रोधित हो जाते हैं और आवेश में आकर घोषणा कर देते हैं.
वह इंद्रप्रस्थ केलिए राजश्री यग्य करायेगे. जिसमे समस्त भारतवर्ष ऐकत्रित होगा. यह सुनकर पौड्रक क्रोधित होकर कहता है की तुम कृष्ण का आदेश नही मानोगे.
तब अर्जुन कहते है की आपने ही मुझे यह सब सिखाया है. फिर अर्जुन क्रोधित होकर वहा से चला जाता है.
फिर सुभद्र अर्जुन के पास आकर कहती है की आपने मुझे अपेक्षा ओर प्रेम के बिच्च का अन्तर सिखाया है. तब अर्जुन कहता है मेने वही ही किया जो मेरे माघव ने मुझे सिखाया है.
फिर अर्जुन वहा से चले जाते है ओर सुभद्रा अर्जुन को देखते ही रहती है. तब वहा राधा आती है ओर कहती है लगता है की तुम अब अर्जुन से भी प्रभावित हो गई हो.
सुभद्रा कहती है की मे क्या करु अर्जुन के व्यक्तित्व मे अदभुत तेज है. परंतु मुझे मेने दुर्योधन को भी पसद किया है. तब राधा कहती है की अपने ह्रदय की सुनो वह तुम्हे सही मार्ग दीखायगा.
दूसरी तरफ अर्जुन अर्धिक विचलित होते हैं. राधा अर्जुन के कक्ष में आती हैं. अर्जुन राधा से कहते हैं कि वह हमे माघव से मिलवा दीजिए.
राधा कहती है की तुम अभी तो मिले हो. तब अर्जुन कहते है की द्वारिका जो कृष्ण है वह मेरे माधव को ही नहीं सकते.
अर्जुन कहते है की आप जानते है की वह माघव नही है. वह कोई ओर है. राधा काफी प्रसन्न हो जाती है ओर कहती है की तुम कृष्ण के सच्चे भक्त हो.
राधा कहती है तुम कृष्ण को एक भक्त की आखो से देखते हो ओर मे कृष्ण को प्रेम की आखो से देखती हु. यह कृष्ण नहीं है लेकिन तुम से जल्द ही मिलेंगे वहीं.
दूसरी तरफ कृष्ण के लिए राधा माखन बना कर ले जाती है कृष्ण राधा से कहते हैं इतना समय क्यों लगा दिया मुझे कितना भूख लगा है.
अब जल्दी से मुझे माखन खिलाओ राधा कहती हैं कि इतने सारे पहरेदार खड़े थे कितना बच बचाकर यहां तक आई हु.
राधा कृष्ण को माखन खिलाती हैं फिर बातें शुरू होती है कृष्ण कहते हैं तो मेरा आधा काम पोड्रक ने कर दिया. अर्जुन ने राज्य की घोषणा कर दी है.
बाकी का आधा काम सुभद्रा को करना है. तब राधा कहती है वह दुर्योधन से प्रभावित हो चुकी है. यदी सुभद्रा को दुर्योधन से प्रेम हो गया तो?
तो कृष्ण वचन देते है की यदी ऐसा हुआ तो मे सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करवाउगा. ओर आज का episode यही पर खत्म होता है.
हां कर दिया तो क्या होगा यदि शिकार करता है वही होगा इतना ही इसमें दिखाया गया है कि शुरू होती है
कल के episode मे दीखाया जायेगा की बलराम सुभद्रा से पुछता है की तुम दुर्योधन से विवाह करना है? तब सुभद्रा दुर्योधन से विवाह करने केलिए मना कर देती हैं.
तब बलराम कहता है की तो मेरे वचन का क्या होगा? तब वहा श्री कृष्ण आ जाते है ओर कहते है की आपको ऐसा वचन नही लेना चाहिए था. तब शकुनि कहता है की यह पोड्रक की मती भ्रष्ट हो गई है.
Thank you for Reading this Post.. and Radhe Radhe
अगर आप राधा कृष्ण अर्जुन का था रोज देखते है तो हमारी website को folllow किजिए. Radhe Radhe...
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