Star Bharat Radha Krishn: Krishn - Arjun Gatha Karna Challenge Arjun S2 E29 20 August 2020 Full Epispde In Hindi on Radha Krishna Serial.
Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Radha Krishn: Karna Challenge Arjun S2 - E29 - 20 Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की धृतराष्ट्र अर्जुन को अपना मत देने को पुछता है. लेकिन अर्जुन कुछ नही बोलता. वह सोचता है की माघव के परामश के बिना मे नही कह सकता. तब द्रोणाचार्य ओर विदुर पुछते है की तुम मोन क्यो हो?
तब Krishna कहते है की यही सही समय है पार्थ मागो, तुम्हे अपना अधिकर केलिए सोच समच कर अपना मत देना होगा. तब अर्जुन खडे होकर कहता है की अभी मे अपना मत नही दे सकता मुझे थोड समय दीजिए. आप पहले पितामह का मत पुछ लिजिए.
यह सुनकर Krishna कहते है की अर्जुन यह क्या कर रहे हो. इससे पहले तो तुम अपना निर्णय स्वयम् करते थे. Krishna तो तुम्हे अभी मिला है. घर्म मे कर्म का महत्वपूर्ण स्थान है. तुम्हे कर्म करने केलिए एक ओर अवसर मिलेगा फिर पितामह ओर विदुर भी युधिष्ठिर की बात पर सहमत होते है.
दुसरी ओर दुर्योधन ओर Krishna साथ मे बैठे हुए होते है. तब Krishna कहते है की हम यहा क्या कर रहे है. हमे सिह का भेद करना है. तब दुर्योधन कहता है की मेने ध्वनि विध्या प्राप्त की है. मे ध्वनी से सिह का भेद करुगा.
Krishna सोचते है की आज दुर्योधन की परिक्षा लेते है. तब Krishna इधर - उधर से सिह की अवाज निकालते है. दुर्योधन आवाज सुनकर बार्ण चलाता है. ओर सैनिको से कहता है की जाव सारे सिह को लेतर आव. Krishna कहते है की वाह तुम तो बहोत वीर हो.
लेकिन सैनिक सिर्फ बार्ण लेतर आते है. तब दुर्योधन चिल्लाता है की सिह कहा है. सैनिक कहते है की आपने जो बार्ण छोडे थे वह सारे बार्ण पैड पर लगे थे. तब Krishna दुर्योधन का मजाक उडाते है.
तब वहा दुशासन आता है. दुर्योधन दुशासन से पुछता है की वहा क्या हो रहा है. तब दुशासन कहता है की सभी हस्तिनापुर के दो भाग करना चाहते है. यह सुनकर दुर्योधन काफी क्रोधित हो जाता है. ओर कहता है यह कदापि नही होगा.
मे अभी जाऊगा ओर सभी का मत को विराम लगा दुगा. तब दुशासन मना कर देता है ओर कहता है की शकुनि मामा ने अभी आने केलिए मना कीया है. तब दुर्योधन कहता है की मे अभी नही गया तो हस्तिनापुर के दो भाग कर देगे.
तब Krishna कहते है की रुक जाव दुर्योधन तुम्हारे शकुनि मामा बहोत चतुर है. यदी वो कह रहे है तो जरुर कुछ होगा. यह सुनकर दुर्योधन रुक जाता है.
दुसरी ओर कर्ण से पुछा जाता है तब कर्ण कहता है की मे भीम की बात पर सहमत हु. यदी वह युद्घ करना चाहता है. तो मेरे ओर अर्जुन के बिच युद्ध करवा दीजिए. ओर जो भी जितेगा वह राजा बनाया जायेगा.
यह सुनकर भीम, युधिष्ठिर, सहदेव ओर नकुल सभी अर्जुन से कहते है की अपना धनुष्य उठाये ओर यह युद्ध स्वीकार करे. लेकिन अर्जुन कुछ नही करता ओर सोचता है की मन करता है की अभी इससे युद्ध करु परुंत मे माघव के बिना कुछ नही कर सकता.
तब Krishna यह देखकर कहते है की सोच क्या रहे हो पार्थ यह तुम्हारा अतिम अवसर है. इसे मत गवा देना. अपने मन मे दो बात है. वह सबके सामने कह दो. लेकिन अर्जुन कहता है की मे मत नही दे सकता. ओर मे युद्ध भी नही कर सकता.
यह सुनकर पाडंवो काफी चोक जाते है. दुसरी ओर Krishna कहते है की यह क्या कर दीया पार्थ. तुम्हे इतने अवसन देने के बाद भी तुम अपना निर्णय नही दे सके.
फिर धृतराष्ट्र कहते है की सभी के मत का मत हस्तिनापुर को दो भाग करने का है. किन्तु अर्जुन सबका प्रिय है. वह वीर भी है ओर ग्यानी भी. उसने कुछ नही कहा. मुझे थोड समय दीजिए उसके बाद मे अपना निर्णय सुनाउगा.
तब शकुनि कहता है की अर्जुन का मत ना देना यही सही समय है. दुसरी ओर दुसाशन को शकुनि का सदेश मिलता है. जिसे पढतर वह खुश होकर दुर्योधन को कहता है की अर्जुन ने अपना मत नही दीया ओर युद्घ करने से भी मना कर दीया.
ओर शकुनि मामा आपको अभी बुलाया है. यह सुनकर दुर्योधन काफी खुश हो जाता है ओर Krishna से कहता है की आपका प्रिय अर्जुन तो मत ही नही दे सका. तब Krishna कहते है की मे यहा चुम्हारे पास क्यो आया क्योकी मेरी वजेसे किसी के मत मे आपत्ति नाये.
तब दुर्योधन कहता है की मुझे लगा था की आप मुझे खुश करने केलिए यह सब कर रहे है. किन्तु अब मे मान गया की आप निपक्ष है. आप मेरे साथ है. इसलिए मे आपको सम्मान के साथ मेरे रथ से आपको मेरे साथ हस्तिनापुर आने को कहता हु.
Krishna दुर्योधन के आते हस्तिनापुर आने केलिए मान जाते है. फिर दोनो साथ मे जाते है.
दुसरी ओर धृतराष्ट्र अपना निर्णय सुनाकर कहते है की सभी के मत को सुनने के बाद ओर हमारे प्रिय पुत्र अर्जुन की मौन यह बताती है की वो भी हस्तिनापुर के दो भाग नही करना चाहता. इसलिए मे हस्तिनापुर के दो भाग नही करुगा.
फिर धृतराष्ट्र कहता है की युद्ध की बात करे तो अर्जुन की मोन यह बताती है की उसने अपनी हार स्विकार करली है. यह सुनकर भीम क्रोधित होकर कहता है की अर्जुन किसी कारण वर्ष मोन रहा. उसने हार नही मानी.
तब धृतराष्ट्र कहता है की कारण चाहे जो भी हो. किन्तु अर्जुन वहा मौन रहा. इसलिए मे हस्तिनापुर का भावी राजा दुर्योधन को धोषित करता हु. यह सुनकर पाडवो कहते की आप एक ओर बार पुनः विचार किजिए. तब महाराज मना कर देते है.
यह सुनकर शकुनि काफी खुश हो जाता है. तब वहा दुर्योधन ओर Krishna वहा आते है. दुर्योधन खुश होकर कहता है की मुझे पता था. आप जरुर उच्चित निर्णय लेगे. अर्जुन Krishna को देख उनके पास जाकर कहते है ती आप कहा थे. मुझे आपकी अत्यंत आवश्यकता है.
तब Krishna क्रोध मे कहते है की मेने तुमसे कहा था. तुम्हे अपना मत स्वयम ही लेना है. परंतु मुझे लगता है की तुमने अपना मत नही रखा. तब अर्जुन कहता है की मे आपका भक्त हु. आप मेरे भगवान ओर भगवान का कार्य है की अपने भक्त केलिए निर्णय देय.
फिर पितामह Krishna से पुछते है की आप कहा थे. हमे आपके मत की प्रतिक्षा थी. तब Krishna कहते है की मुझे लगा की यह आपका पारिवारिक समस्या है. इसमे मेरा हस्तषेप देना या मेरा मत देना उच्चित नही होगा.
तब सभी लोग Krishna पार्थना करते है की आप अपना मत रखीये. ओर अर्जुन भी Krishna को कहते है की कृपा करके आप अपना मत सुनाईये. तब Krishna अर्जुन को कहते है की मे तुम इसलिए बोल रहे हो क्योकी तुम अपना मत नही रख सके.!!
यदी यह बात तुम्हारे लिए होती तो मे कदापि नही बोलता क
किन्तु सहा सभी पाडंवो, कुन्ती, द्रोपदी, पितामह, समस्त हस्तिनापुर ओर घर्म केलिए मे अवश्य बोलुगा. ओर आज का episode यही पे खत्म होता है.
कल के episode की स्टोरी में दिखाया जाता है कि Krishna कहते हैं कि हस्तिनापुर का भावी राजा तो दुर्योधन बनेगा लेकिन आपको पांडवों को कुछ स्थान आप को दान में देने पड़ेंगे. दुसरी ओर दुर्योधन शकुनि को कहता है की मे पाडंवो को छोटा सा टुकडा ही दुगा. तब शकुनि कहता है की देना है तो ऐसा टुकडा देगे जिससे वह पाडंवो परेशान होकर चले जायेगे.
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