Star Bharat Radha krishn episode : 5 August, 2020. Radha Krishn - Krishn-Arjun Gatha, Kunti's Shocking Command S2 - E18 - 5Aug episode full episode in Hindi.
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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Kunti's Shocking Command S2 - E18 - 5Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की कुंती दुर से आये यात्री को जल पिलाती होती हैं. तब कुंती उनसे पूछती हैं कि आप कहां से आए? तब वह बताते हैं की पांचाल की राजकुमारी पांचाली का विवाह और स्वयंवर देखकर आ रहे हैं. ऐसा स्वयंवर ने कभी नहीं देखा था वहां पर एक ब्राह्मण ने उनको जीत लिया है.
यह बात को सुनते हुए जब वह चले जाते हैं तब कुंती घबरा जाती है और कहती हैं कि मेरे पांचो पांडव इतने शक्तिशाली होते हुए भी उनका अपमान हो रहा है. वह अपनी शक्ति का प्रभाव कहीं पर भी नहीं दिखा पा रहे हैं.
दूसरी दुर्योधन कहता है कि पांचों पांडवों को मैं अभी यहीं मार डालूंगा लेकिन कर्ण समझाता है किन्तु कर्ण के समझाने पर भी दुर्योधन नहीं मानता. अंत में शकुनि आता है. वह कहता है कि हम नहीं मार सकते हैं तो क्या हुआ. हमारी सेना और सेनापति तो मार सकती है. फिर शकुनि कहता है की जाओ पांचों पांडवों के शीश लेकर आओ.
इधर से दिखा जाता है कि विदुर की एंट्री दिखाई जाएगी विदुर धृतराष्ट्र के पास आते है ओर कहते है कि पांचो पांडव जीवित है और उन्होंने ही पांचाली के स्वयंवर में अर्जुन ने ही स्वयंवर में पांचाली को जीत लिया है. यह बात को सुनते हुए धृतराष्ट्र बहुत ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं.
दूसरी ओर Radha श्री राम का नाम लेती होती है तभी कुटिला ओर अयंक आते है. कुटिला ट अयंक को कहती है की यह Radha अपने आप को समझती क्या है. देखो भोजन इतनी देर से रखा है इसने अभी तक देखा ही नहीं. यह बात को सुनते हुए अयंक से कहता है कि यह भोजन को उठा लो मैं देखना चाहता हूं कि यह कब तक राम का नाम लेती है.
यह बात को सुनते ही कुटिला भोजन ले जाती है. फिर Radha श्री राम का नाम लेती है. तब Krishna वहां पर पहुंच जाते हैं और Radha Krishna एक दूसरे से मिलते हैं तब Radha Krishna से पूछती हैं कि Krishna तुम्हारा में द्रोपदी स्वयंवर सफल हुआ?
यह बात को सुनते हुए Krishna कहते हैं की हा, मुझे अपना धर्म सारथि भी मिल गया और मुझे बहुत से कार्य भी उसी के साथ करने है. धर्म स्थापना केलिए यह गाथा उसी के साथ ही जुड़ी हुई है. यह बात को सुनते हुए जो Radha कहती हैं कि अगर सारथि की बात है तो तुम मुझे क्यों सारथि नहीं बना सकते?
तब Radha श्री Krishna कहते हैं कि तुम तो मेरी प्रीत हो तुम तो प्रेम हो. प्रेम को धर्म से जोड़ना, प्रेम का सार है प्रेम तो धर्म का ही साथ है. उसके बाद Radha Krishna से विदा लेते हैं. इधर से दिखाया जाता है कि दुर्योधन अपने पिताश्री के पास आता है ओर कहता है कि पांडवों को यहां पर बुलाने की भूल भी मत करना अन्यथा मैं जीवित नहीं रहूंगा मैं मर जाऊगा.
दुसरी ओर से देखा जाता है कि कुंती बहुत ज्यादा बेचैन होकर कहती हैं कि मैं अपने पुत्रों का अपमान नहीं होते देख सकती हूं. उनकी एकता को भंग होते हुऐ नहीं देख सकती हो. तब वह नारायण से प्रार्थना करती ह ओर नारायण की पूजा करने लगती है.
इधर से पांचों भाई अपनी द्रोपति के संग पहुंचते हैं. तब अर्जुन कहता है की माता आज दान मे हमे क्या मिला है. यह सुनते ही कुन्ती अपनी आंखें खोल देती है. पीछे पलट कर भी नहीं देखती है तब भीम कहते हैं कि माता देखिए अर्जुन कि आज तो भाग्य खुल गए हैं. उसे देखिए दान में क्या मिला है.
यह बात को सुनते हुए कुंती कहती है कि मेरे अर्जुन के ही भाती, मेरे बाकी पुत्रों के भाग्य खुलने चाहिए इसलिए आज दान में जो कुछ भी लेकर आए हो वह तुम आपस में मिलकर बांट लो. यह बात को सुनते हुए अर्जुन कहते हैं कि माता आप एक बार पीछे मुड़ कर तो देख लेती कि आपने क्या कब दीया है.
तब कुंती पीछे मुडती है ओर देखती हैं कि वहां पर द्रोपदी यानी कि कन्या होती है और कुन्ती द्रोपदी से कहती हैं कि मुझे क्षमा कर दो यह तो कन्या कन्या को मैं पांचो अपने पुत्र में कैसे बाट सकती हु.
तब जो भीम कहते हैं कि माता आपने जो कुछ भी यह सभंव नही आप अपने शब्द वापस ले लीजिए ओर अर्जुन और द्रौपदी का शीघ्र शीघ्र विवाह कर दीजिए यह बात को सुनते अर्जुन कहते हैं कि ऐसे कैसे हो सकता है. आपकी हर एक बात को हमारे लिए आदरणीय ओर आदेश होती है अब हम ऐसे कैसे कर सकते हैं. ओर आज episode यही पे खत्म होता है.
कल के एपिसोड की स्टोरी में दिखाया जाता है कि जो द्रोपदी रो रही होती है और कहती है कि आने दीजिए माधव को , अब Krishna ही इसका निर्णय करेंगे. यह बात को सुनते ही Krishna वहा पर पहुंचते हैं.
तब द्रोपदी Krishna से कहती हैं कि अगर मैंने ऐसा निर्णय ले लिया तो संसार मुझे कलंकिनी कह सकता है. यह बात को सुनते हुए Krishna कहते हैं कि अगर किसी ने ऐसा करने का साहस किया उसके हाथ जल जायेगे.
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