Star Bharat Radha krishn episode : 19 August,
2020. Radha Krishn - Krishn-Arjun Gatha , Arjun Seeks Out Krishna S2 - E28 - 19 Aug episode in Hindi.
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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Arjun Seeks Out Krishna S2 - E28 - 19 Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की पूरा हस्तिनापुर विश्राम कर रहा होता है. लेकिन भगवान श्री Krishna रात मे विश्राम नहीं कर रहे होते हैं. Krishna चंद्रमा की ओर देख रहे होते है.
तभी वहा शकुनि आ जाता है. और शकुनि सोचता है कि पूरा हस्तिनापुर अभी सोच रहा है कि Krishna का क्या निर्णय होगा लेकिन यह Krishna क्या कर रहा है. तब Krishna कहते हैं कि शकुनी मामा पधारी आपका स्वागत है.
तब शकुनि चोक जाता है ओर कहता है की आपको पता था की मे यहा आने वाला हु? फिर शकुनि नाटक करता है की आप तो सब जानते है. फिर Krishna कहते है की मेने सुना है की आपको भेज मे कोई नही हरा सकता. इसके सारे पासे आपकी बात मानते है. Krishna कहते है की क्या मेरे साथ खेल खेलेगे?
तब शकुनि मान जाता है. खेल खेलने से पहले शकुनि कहता है की आपको दाव मे कुछ लगना होगा. तब तक खेल मे मजा नही आयेगा. तब Krishna कहते है की दाव मे आप जो पुछने केलिए यहा आये है उसका उत्तर मे दुगा.
शकुनि खुश हो जाता है ओर खेल शुरु करता है. Krishna पासे फेकते है फिर शकुनि अपनी कुटिल चाल से Krishna के पासे को हरा देते है. पासे को हरा कर शकुनि कहता है की कोरंवो ओर पाडंवो मेरे पुत्रो है. मे दोनो की हीत के बारे मे सोचता हू. मेरे विचार से आपको दुर्योधन के पक्ष मे अपना मत देना चाहिए.
क्योकी दुर्योधन महाराज का पुत्र है ओर पुत्र मोह मे आकर वह आपकी बात नही मेनेगे इससे आपका घोर अपमान होगा सभंव है की युद्ध भी हो जाये ओर आप युद्ध के विरुद्ध है. इसलिए मे चाहता हु की आप दुर्योधन के पक्ष मे अपना मत देय.
फिर Krishna अपनी चाल लेते तब Krishna अपनी लिला से पासे शकुनि को छोडकर Krishna की बात मानते है. जिससे Krishna शकुनि के पासे को हरा देते है. तब Krishna कहते है की पासे को हरा कर मे बोलता हु की.
नाही मे पाडवो के पक्ष मे हु ओर नाही मे कौरंवो के पक्ष मे मुझे हस्तिनापुर से कुछ लेना देना नही है. मे केवल घर्म के पक्ष मे हु. शकुनि फिर क्रोघ मे पासे फेकता है किन्तु वह पासे उसके विरुद्ध जाते है. तब शकुनि चोक जाता है.
Krishna कहते है की यह खेल निपक्ष हो गया. इसलिए मे आपको उत्तर भी आधा ही दुगा. Krishna कहते है की आपने जो भी कहा वह मे नही करुगा. तब शकुनि कहता है की अर्थात आप पाडंवो को मत देगे? Krishna कहते है की मे वो भी नही करुगा.
शकुनि पुछता है की तो आप क्या करेगे? Krishna कहते है की आप जिते नही इसलिए मे आपको पुर्ण सत्य नही बताऊगा.
अगले दीन सुबह सभी पाडंवो तैयार हो जाते है. तब कुंती सबसे पुछती है की सबने अपना मत तुन लिया है? तब युधिष्ठिर कहता है की मेने ओर भीम ने अपना मत चुन लिया है.
अर्जुन से जब पुछते है तो अर्जुन कहता है की मेने भी सोच लिया है किन्तु मे ऐकबार माघव से मार्गदर्शक लेना चाहता हु. किन्तु माघव कल रात से मुझे मिले नही.
दुसरी ओर वन मे दुर्योधन खरगोश का शिकार करने वेला होता है उसी बीच Krishna वहा आ जाते है ओर कगते है की तुम यह क्या कर रहे हो? तुम तो यहा सिह का भेद करने आये थे.फिर तुम यह क्या कर रहे हो.
तब दुर्योधन कहता है की आप मेरी छोडीये आप यहा क्या कर रहे है. मुझे लगा था की आप पाडंवो को मार्गदर्शक दे रहे होगे. तब Krishna कहते है की मे भी तुम्हारी तरह निर्दोष हु. मै भी चाहता हु की मेरी वजह से किसी को आपत्ति नही आये.
दुर्योधन कहता कहता है की मुझे लगा था की आप पाडंवो पर चुनवा का मत देगे. किन्तु मुझे तो कुछ ओर ही दीखाई देता है. तब Krishna कहते है की यह तो तुम ओर शकुनि भुल कर रहे हो. जो मे दीखता हु वो मे हु नही ओर जो मे हु वह मे दीखता नही.
फिर Krishna कहते है की चलो साथ मे मिलकर सिह का भेद करते है. तब दोनो साथ मे वन मे जाते है.
दुसरी ओर दीखाया जाता है की शकुनि सोच रहा होता है की हमे दुर्योधन को सही समय पर लाना है. नाही हमे उसे जल्दी लाना है ओर नाही उसे अंत मे. तब दुर्योधन का भाई कहता है की इसमे समस्या क्या है? शकुनि कहता है की दुर्योधन मे धीरज नही है.
उससे समय समय पर मत के बारे मे सुचित करते रहेना. यह चुनाव हमे किसी भी तरह से जितना है. इसमे हमे दुर्योधन के आसु की आवश्यकता भी पडेगी.
इधर से राज्य मे सभा आरंभ होती है. तब धृतराष्ट्र आरंभ करने से पहले द्रोपदी का स्वागत करते है फिर सभा आरंभ करते है. तब अर्जुन कहता है की आरंभ करने से पहले अभी माघव नही आये है. हमे माघव की प्रतिक्षा करनी चाहीये.
तब शकुनि षडयंत्र रचकर कहता है की यदी हम दुर्योधन के बिना सभा आरंभ कर सकते है तो Krishna के बिना क्यो नही. यदी Krishna को कुछ कहना होता तो वह अब तक आ गये होते. धृतराष्ट्र शकुनि की बात मान जाता है ओर सभा आरंभ करते है.
पहला मत धृतराष्ट्र युधिष्ठिर से पछते है तो युधिष्ठिर कहता है की राज्य के दो भाग किया जाये. यह सुनकर धृतराष्ट्र क्रोधित हो जाता है की यह तुम क्या कह रहे हो. इस राज्य के दो भाग नही हो सकते. तब पितामह कहते है की पहले अन्य पाडवो की बात सुन लेते है.
फिर भीम से पुछते है तो भीम कहता है की मुझे यह दो भाग के बारे मे पता नही. मेरा मत है की आप मेरी गदा ओर दुर्योधन गदा के साथ ओर अर्जुन ओर कर्ण के बिच एक युद्ध करायें.जो जिता वह राजा बनेगा.
तब गांधारी कहती है की हम दो भाईयो के बीच युद्ध नही करवा सकते. फिर नकुल ओर सहदेव से पुछते है तो वह भी दो भाग करने मे अपना मत रखते है. उसके बाद धृतराष्ट्र द्रोपदी से पुछता है तो द्रोपदी कहती है की मे भी राज्य के दो भाग करने के मत मे हु.
उसके बाद धृतराष्ट्र अर्जुन से पुछता है. तब अर्जुन कुछ नही बोलता ओर चिंतित हो जाता है. ओर सोचता है की मे माघव के मार्गदर्शक के बिना कैसे बोल सकता हु. तब Krishna कहते है की यही सही समय है तुम्हे अपने हक केलिए अपना निर्णय देना चाहीए. ओर आज का episode यही पे खत्म होता है.
कल के एपिसोड की स्टोरी में दिखाया जाता है कि कर्ण कहता है की यदी भीम चाहता है की अर्जुन ओर क्रण के बीच मे युद्ध हो तो मुझे स्वीकार है. वह कहता है की आइए ओर युद्ध करे. यह सुनकर अर्दुन क्रोधित हो कर धनुष्य उठा लेता है.
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