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हेलो फ्रेंड Radge Radhe क्या होगा हमारी Favorite Serial Radha Krishna तो चलीए शुरु करते है. आज के Episode दिखाया जाएगा कि जो Krishna जो माधव के रूप में जाते हैं. अर्जुन के पास और अर्जुन से यानी कि जो अर्जुन का दूसरा नाम पार्थ होता है. उनसे कहते हैं कि पांचाल नरेश की पुत्री पांचाली अर्थात द्रौपदी का स्वयंवर होने वाला है. उसमें मुझे लगता है कि तुम वहा जरुर जाओगे.
यह बात को सुनते हुए भीम बहुत ही ज्यादा घबरा जाते है ओर कहते हैं कि हम एक हैं और हम हमेशा साथ में जाते हैं. चाहे कुछ भी हो जाए हम एक हाथ की उंगली है. यह बात को सुनते हुए श्री Krishna कहते हैं कि एक हाथ की उंगली तो होना संभव है. लेकिन एक हाथ की उंगली में हृदय संभव नहीं है.
इसलिए मुझे लगता है पार्थ अवश्य जाएंगे द्रोपदी के स्वयंवर में जायेगे. इस प्रकार Krishna कहते हुए बाहर चले जाते. बाद मे बलराम कहते हैं कि Krishna अच्छा तुम पांडवों से मिलने के लिए गए थे. फिर श्रीKrishna अब पहुंचते हैं पांचाल की ओर पांचाल की ओर जा रहे होते हैं.
इधर से द्रोपदी दिखाइ देती है और उनकी आज बहन जो होती है खंडनी भी दिखाई जाएंगी खंडनी द्रोपदी को पकड़ने के लिए भागती है. इधर से पांचाल नरेश अपने पुत्र से बात कर रहे होते हैं और कहते हैं कि हमने हर जगह पत्र भेज दिया है.
द्रोपदी के स्वयंवर के लिए यह बात को सुनते हो कुछ देर में एक सैनिक आता है और कहता है कि मगध राज्य से जरासन, शिशुपाल और बहुत से राजा यहां तक कि हस्तिनापुर से भी कोई नहीं आ रहे. यह बात को सुनते हुए बहुत ही ज्यादा चिंतित हो जाते है. तिरुपति वहां पर ही आ जाती है. तब कुछ देर के पश्चात दिखा जाता है.
एक सैनिक द्वार मे आता है और कहता है कि कोई द्वारिका से दो व्यक्ति आये हुए हैं और वह कह रहे हैं कि मैंने आपको नाम बताऊंगा ना कुछ बताऊंगा. तब पांचाल नरेश के राजा द्रुपद समझ जाते हैं. वह Krishna और बलराम आए है. तब वह कहते हैं कि फूलों की माला लाइय और स्वयं छप्पन भोग लगाओ.
इस प्रकार श्रीKrishna को मार्ग में आने के लिए प्रेरित करते हैं. उसी बीच में द्रोपदी को जब यह पता चलता है तब वह कहती है कि ऐसे कौन से राजा आने वाला है. जो स्वयंबर से पहले ही यहां पर उनका स्वागत कर रहे है. स्वयंम् मेरे पिता ही उनका आभार और उनका सत्कार करने के लिए गए हैं.
तब द्रोपदी अपने पिता के पास आती है और कहती हैं कि क्या द्वारिकाधीश मोर मुकुट धारण करते हैं? क्या उनकी मुस्कान में चंचलता है? यह बात को सुनते हुए पांचाल नरेश कहते हैं कि हां द्रोपति, तुमने जो भी कहा है वह सब ठीक है. तब कुछ ही देर में Krishna दिखाए जाते हैं और Krishna और पांचाल नरेश के संग उनके पुत्र का भी सत्कार करते है. फिर सम्मान के संग में भोजन के लिए बैठते हैं.
इधर से जब श्रीKrishna भोजन के लिए बैठते हैं तब Krishna को Radha की याद आने लगती है. दुसरी ओर बरसाना मे गोपिया गौशाला मे भोजन लेकर आती है. क्योंकि Radha उस समय गौशाला में बैठे हुई होती है. तब गोपिया Radha से कहती है कि हम सब मंन से Krishna से प्रेम को करते है. लेकिन उसको प्रकट नहीं कर सकते हैं. क्योंकि यहां पर बहुत ही ज्यादा कठोर नियम बन गए हैं. तब Radha कहती है कि ऐसे कैसे संभव है.
गोपिया यह भी कहती है कि तुम Krishna को भूल जाओ मन से. मुझे पता है कि तुम Krishna से अनंत प्रेम और पवित्र करती हो. लेकिन तुम इन लोगों के सामने कुछ भी मत कहना. तभी वहा उग्रपत आ जाते है ओर कहते हैं कि Radha चाहे कुछ भी हो जाए तुम्हें Krishna को भूलना ही होगा और मैं अपने वजन को भूल जाऊंगा यदी तुमने Krishna को भूली.
इधर से Radha भोजन करने के लिए पहला कर लेती है. उधर से Krishna भी पांचाल में भोजन का पहेला कर लेते हैं. Krishna Radha की प्रतीक्षा कर रहे कि Radha भोजन करें. परंतु Radha भोजन नहीं करती और इधर Krishna भी भोजन ना करते हुए बलराम से कहते हैं कि मुझे भूख नहीं है.
एक दूसरे से अलग होते हुए भी में आंसुओं की धारा बहने लगती है. Radha और Krishna के लेकिन क्या करा सकते है. समय का चक्र है जैसा चलता है. उसके संग चलना ही पड़ता है. अंत में द्रोपदी कहती है कि एक राजा के कहने पर मेरे पिता मान गए कि उनके संघ किसका विवाह कराया जाएगा तब Krishna वहां पर आ जाते हैं और आज के Episode यहीं पर खत्म होता हैं.
कल के Episode मे दिखाया जाता है कि Krishna Radha साथ में होते हैं और स्वयं Radha पांचाली की बात कर रही होती है और कहते हैं कि जिस का विवाह Krishna स्वयं करें, उसका विवाह तो स्वयं ही अद्भुत होगा.
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