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हेलो फ्रेंड्स Radhe Radhe, आज के Episode की स्टोरी में दिखाया जायेगा की, कल के Episode की स्टोरी में जिस प्रकार आपने देखा था कि बलराम श्रीKrishna को लेकर जाते हैं. कुछ ऐसी जगह पर जहां पर एक वन होता है. उसी वन में श्रीKrishna उस रास्ते उतर जाते हैं. उसके पश्चात कहते हैं कि मुझे अपने सगे संबंधियों से मिलने के लिए जाना है.
यह बात को सुनते हो बलराम कहते हैं कि मैं भी तुम्हारी संग चलूंगा. क्योंकि तुम हमेशा मुझे मूर्ख बनाते रहते हो. तब श्रीKrishna फिर से अपनी नटखट ता दिखाते है ओर कहते हैं कि सगे संबंधी तो मेरे हैं. यह कह कर Krishna बलराम को मूर्ख बनाते हुए भी चले जाते. अंत में जब बलराम सोचते हैं कि जब Krishna मेरा सगा भाई है. तो उसके रिश्तेदार तो मेरे रिश्तेदार भी होंगे. अब यह मुझे फिर से मूर्ख बना कर चला गया.
अंत में इधर दिखा जाता है कुंती जी की एंट्री होती है. उनके पाडंवो कुछ लेकर आते हैं. उनकी माताजी कुंती देखे बिना कहती हैं कि आप लोग आपस में मिल बांट लो. तब उसी बीच में Krishna एक ऐसा रूप धारण करके आते हैं. जो ना ही व्यापारी का लगता है, ना ही कोई ज्ञान महात्माओं का लगता है.
तब Krishna कहते हैं की रुकीये और आपको तनिक सोचना चाहिए कि आप बिना देखे ही ऐसी वस्तुओं को क्यों कह देती है कि 5 लोग मिल कर खा लो. क्या कभी ऐसा हो सकता है कि एक समान चीज मिल सकती है? कभी भविष्य में ऐसा हुआ जिसे बांटा ही नहीं जाए. उसके आने से पहले ही सीख समझ जानी चाहिए.
तब भीम बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो जाते और कहते हैं कि पहले तो आप हमारी माता को ज्ञान मत सीखाइये. दूसरी बात आप कौन है और कहां से आ रहे हैं? श्रीKrishna बहुत लंबी सांस लेकर कुछ देर के बाद बताते हैं कि मैं इस वन से इधर उधर मुड़ते हुए बहुत ही बातें करते हुए बताते हैं.
तब भीम कहते हैं कि अब आपने बता दिया. तो अब यहां से जाइए तब श्रीKrishna कहते हैं कि अतिथि को आप ऐसे ही छोड़ देते हैं? मुझे बहुत तेज से भूख प्यास और मिष्ठान की भी आवश्यकता है. इसलिए मुझे आपसे यह चीज मिलनी चाहिए.
तब कुंती जी कहते हैं कि हम सब कुछ देगे. श्री Krishna बताते हैं कि तुम मेरे लिए पंखा डलवा ओगे और तुम मेरे लिए पानी लेकर आओगे. तुम मेरे पैर दबाओगे. इस प्रकार अर्जुन की बारी आती तब अर्जुन कहते हैं कि मैं तुम्हारी कोई भी सहायता नहीं करूंगा. अंत में बुआ कुंती और Krishna Krishna को भोजन करा रही होती है. उसी बीच में Krishna कहते हैं कि माता जी आप भविष्य में कुछ ऐसा अगरतला मत कर दें जिसे सुनकर सारा का सारा भारतवर्ष काप उठे. यह बात को सुनते हुए कुंती जी चौक जाती है और कहती हैं कि वैसे तुम्हारी बातों में तो शत प्रतिशत सत्य ही दिखता है.
श्री Krishna कहते हैं कि बातों से तो पेट नहीं भरेगा. इसलिए आप मुझे थोड़ा भोजन और दीजिए और भोजन के पश्चात मिष्ठान अवश्य दीजिए. इसके पश्चात नकुल और सहदेव जो होते हैं श्रीKrishna के पैर दबाते हैं और अंत में मिष्ठान मे लड्डू होता है. उसे खाने के पश्चात भीम जो पंखा डोला रहे होते है.
उसके पश्चात श्री Krishna उठते हैं और अर्जुन से पूछते हैं कि मुझे आपको देखकर ऐसा लगता है कि आप छत्रिय हैं ब्राह्मण तो नहीं है. भीम जी को देखते हुए कहते हैं कि आपके अंदर इतना क्रोध है. मुझे ऐसा लगता है कि आप ब्राह्मण नहीं है. केवल ब्राह्मण का वेश धारण किए हुए हैं. तब उसके पश्चात Krishna बलराम के बारे में बताते हैं.
अंत में जब अर्जुन से मिलने वाले होते हैं और अपने जो मिसाल यानी कि लड्डू खाया होता है. उसका हाथ धोने जा रहे होते हैं. तब अर्जुन के साथ श्री Krishna कहते हैं कि मुझे आपको देखकर ऐसा लगता है कि आप हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हैं. यह बात को सुनते हुए अर्जुन बहुत यादा चौक जाते हैं. और मैं अपने बचपन को याद करने लगते हैं. जिस प्रकार उन्होंने तीर से वही जो चिड़िया थी उसका जो नेत्र का भेदन किया था.
यह बात को सुनते अर्जुन को जो Krishna बैसवारी करके आते हैं तो उसे देखते हुए बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाते है. अंत में Krishna जब अर्जुन से उनका नाम पूछते हैं. तब अर्जुन अपना नाम पार्थ बताते हैं. अर्जुन भी कहते है की आपका नाम क्या है? तब Krishna कहते हैं कि मेरा नाम माधव है.
श्री Krishna माधव और पार्थ जो अर्जुन होते हैं. आज के Episode की स्टोरी को हम यहीं पर खतम हो जाती है. कल के Episode की स्टोरी में कुछ इस प्रकार दिखाया जाएगा कि पांचाल नरेश की की राजकुमारी द्रोपति है. वह बहुत ही ज्यादा सुंदर है. उसकी चर्चा करते हुए Krishna उनसे कहते हैं कि आपको पांचाल अवश्य जाना चाहिए. वहां पर द्रोपति का स्वयंवर होने वाला है.
यह बात को सुनते हुए जो होते हैं भीम बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो जाते हो कहते हैं कि हम कही
नहीं जा रहे हैं. तब Krishna अंत में यह कह कर जाते हैं. कोई जाए या ना जाए पार्थ अवश्य जाएगा. अर्जुन को संबोधित करते हुए श्री Krishna कहते हैं कि तुम अब सो जाओगे मुझे यह लगता है. तब अर्जुन बहुत ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं.
इधर से दिखाया जाता है बरसाना में उग्रपथ जी होते हैं. Radha को रात्रि के समय कहते हैं कि Radha Krishna के बारे में मत सोचो और तुम Krishna को भूल जाओ और इधर से कहते हैं कि मैं अपना वचन भूल जाऊंगा दूसरी ओर दिखाया जाता है कि द्रोपदी Krishna का सत्कार करती हुए बताती है कि जो मोर मुकुट धारण करते हैं. वही द्वारिकाधीश है पांचाल नरेश ओर द्रुपद भी वहा होते ओर कहते तुम्हें कैसे पता?
दुसरी ओर दिखा जाता है कि Krishna भोजन कर रहे होते हैं. उधर से Radha भी भोजन कर रही होती है ओर सोचती है की तुम Krishna को भूल जाओ तो दोनो लोग को खाने में थोड़ा सा समय लगता है. ओर आज का Episode यही पे खतम हो जाता है.
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