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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के 22 july episode मे तो चलीये शुरु करते है.
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आज के episode मे दीखाया जायेगा की द्रौपदी मन ही मन में अर्जुन को याद कर रही होती है फिर द्रौपदी Krishna को कहती है आप जाकर पिताजी को समझा दीजिए. Krishna जी बोलते हैं नहीं द्रौपदी, तुम्हारा वर वही होगा जो धनुर्विद्या का प्रमाण दे. यह बात तुम्हें पिताजी से खुद कहना होगा की अधिकार बिना कर्तव्य पूर्ण के नहीं मिलते.
यह तुम्हारा स्वयंवर है तो तुम्हें ही तय करना होगा. द्रौपदी कहती है कि आप मेरी मदद नहीं करेंगे सखा? Krishna जी कहते हैं की मैं तुम्हारी सहायता ही कर रहा हूं द्रौपदी. उसके बाद श्री Krishna नारी शक्ति का महत्व समझाते हैं.
वहीं दूसरी तरफ बलराम कहते हैं यहां पर तो कोई शस्त्र नहीं है? धनुर्विद्या का प्रमाण कोई कैसे देगा? फिर महाराज द्रुपद कहते हैं जो धरती से आकाश को भेज देगा वही विजय होगा. उसके लिए उसे दुर्गम परीक्षा में सफल होना होगा.
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बलराम श्री Krishna से कहते हैं यह परीक्षा तो काफी अजीब है बिना किसी धनुविघा की कोई धरती से आकाश को कैसे भेज सकता है? इस परीक्षा में तो अर्जुन जैसा महान योद्धा सफल ना हो पाए! Krishna जी कहते हैं जहां तक मैं अर्जुन को जानता हूं. वह निष्ठा के साथ जरूर प्रयास करेगा.
दूसरी तरफ पांडव पहुंच चुके हैं लेकिन वह सामने के गेट से आ रहे होते है तब सिपाई उनको रोक देते हैं कहते हैं आप दर्शाते हो तो आप वहां से आइए भीम क्रोधित हो जाते हैं वह कहते हैं तुम जानते हो हम कौन हैं.
सिपाई बात कर देते हैं जैसे कि तुम धनुर्विद्या के कोई महान योद्धा तो नहीं हो सामान्य. ब्राह्मण हो तुम अर्जुन तो नहीं हो और सामने अर्जुन ही खड़ा होता है लेकिन पांडव उनकी बात मान कर दूसरी तरफ से चले जाते है.
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वही शकुनी मामा दुर्योधन और कर्ण तीनों स्वयंवर के बारे में बात कर रहे होते हैं. तब शकुनी मामा कहते हैं तुम्हें द्रौपदी को जीत कर दुर्योधन को देना होगा और यह ऋण चुकाना होगा क्योंकि शकुनी मामा कभी कर्ण को पसंद नहीं किया. वह हमेशा उसकी निंदा ही करते आया है.
दुर्योधन गुस्से में कहता है मित्रों में होता है यह नहीं तू शकुनी मामा कहते हैं की यह क्षत्रिय है ही नहीं, यह बनना चाहता है और क्षत्रिय बनने के लिए कर्ण को ऋण चुकाना होगा. तो कर्ण बोलता है. मे अपने मित्र को द्रौपदी दे सकता हु. तो दुर्योधन बहुत खुश हो जाता है और कहता है अवश्य दे सकते हो. मित्र बल्कि तुम ऐसा ही करोगे.
फिर श्री Krishna आते है कर्ण और दुर्योधन से और उनके लिए भोजन लेकर आते हैं अंहकारी दुर्योधन हमेशा की तरह अपनी बात कर रहा होता है कि द्रौपदी को तो मैं ही जीतूंगा उसके पश्चात श्री Krishna और कर्ण कुछ बातें करते हैं. श्री Krishna यह कहते हैं कि तुम सूर्य के भक्त हो वही द्रौपदी अग्नि से जन्मी है तो क्या तूम स्वयंवर को जीत के जाने कि तुम सूर्य देव के भक्त होकर एक अग्नि को अपना सकते हो?
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कदापि नहीं कर्ण कहते हैं मेरा लक्ष्य केवल मेरा पराक्रम है क्योंकि कर्ण का लक्ष्य एक ही है कि वह द्रौपदी को जीत के दुर्योधन को दे दीया जाये. कर्ण Krishna की बात को काटकर बोलते हैं केवल इच्छा है लक्ष्य नहीं.
उसके बाद Krishna जी समझाते हैं कि तुम कब तक दुर्योधन की उपकार तले दबे रहोगे. तुम्हें स्वयंम् की पहचान बनानी होगी फिर कर्ण भी बताता है कि दुर्योधन का कितना साथ दिया है जब कोई नहीं अपना रहा था सुपुत्र होने के कारण तो दुर्योधन ने उसकी वीरता को देखते हुए उसको सहारा दिया तो Krishna जी भी बताते हैं अपने स्वार्थ के लिए ही किया उसने भी लेकिन फिर भी कर्ण र्दुर्योधन की प्रशंसा करने से पीछे नहीं हटता.
फिर शकुनी मामा कि अब वह जाते श्री शिखंडी को भटकाने ताकि द्रौपदी दुर्योधन को ही चुने और हस्तिनापुर की बहू बन के आए शिखंडी नीचे मिलने के बाद शकुनी मामा कहते हैं तुम्हें देखकर लगता है कि तुम अपने लक्ष्य से भटक चुकी हो. तुम्हारा लक्ष्य यहां नहीं हस्तिनापुर में है.
शिखंडी चौक जाती है कि इनको इतनी सारी बातें कहां से पता है फिर शकुनी मामा कहते हैं तुम भीष्म का अंत चाहती हो ना? तब से शीखडी क्रोधित हो जाती है फिर शकुनी मामा कहते हैं यह संभव हो सकता है. अगर तुम द्रौपदी का विवाह कर्ण या दुर्योधन में से किसी से करवा दो.
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शिखंडी नहीं कहती है. द्रोपति मेरी बहन है आपने सोच भी कैसे लिया कि मैं अपने लक्ष्य को पाने के लिए द्रौपदी का विवाह कर्ण या दुर्योधन से करवा दूंगी फिर बाद में शकुनि कहते हैं सही बात है बहन का प्रेम तो जीवन के लक्ष्य की प्राप्त इससे भी बड़ा होता है मतलब शिखंडी को ताना दे रहे होते हैं शकुनि ने कहा अगर तुम हस्तिनापुर नहीं आओगी तो तुम्हारा लक्ष्य पूरा भी नहीं होगा जो पति अगर हस्तिनापुर आएगी तभी तुम आप आओगी.
दूसरी तरफ Radha बैठी होती है और श्री Krishna आते हैं तो Radha कहती है तुम आ गए Krishna लेकिन Krishna के मुख्य में खुशी नहीं उदासी होती है क्योंकि मन ही मन वही सोच रहे होते हैं जो अयंक ने Radha के साथ किया उसे डंडीत दिया क्योंकि वह निधिवन में नही थी और उसे खाना और जल नहीं दिया.
Krishna कहते हैं अयंक ने तुम्हारे खाने पर प्रतिबंध लगाया है. तुम्हारी प्रसंन्ता का कारण क्या है फिर Radha कहती है तुम हो Krishna . Krishna जी बहुत उदास रहते उनकी आंखों में आंसू भर जाते हैं Krishna कहते हैं पूरे संसार को बरसाना वालो को सबको बता दूं कि मैं कौन हूं, तुम्हारे जीवन से एक एक दुख को हटा दो मन करता है. मन करता है एक क्षण में सारे संकट दूर कर दु.
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तब Radha कहती है जानती हूं Krishna जैसे तुमने कंस के सारे असुरों का वध किया है उसी प्रकार तुम सारे संकटों का मेरे अंत कर सकते हो लेकिन तुम ऐसा नहीं करोगे Krishna अभी तुम्हारा सिर्फ एक मकसद है वह धर्म स्थापना क्योंकी Radha बोलती है मैं चाहती हूं कि बरसाना के हर एक व्यक्ति का हृदय प्रेम से परिपूर्ण हो जा़े. Krishna कहते हैं इसका अंत Radha Krishna की मिलन से ही होगा और आज का episode यही पे खत्म हो जाता है.
कल होगा द्रौपदी के स्वयंवर का आरंभ और दूसरी सिन में दिखाया जाता है कि कारी राजा आकर बैठ जाते हैं और द्रौपदी भी अपने विवाह के रूप में बैठ जाती है जैसे जैसे Krishna Radha को द्रौपदी स्वयंवर के बारे में बता रहे होते हैं वहीं दूसरी तरफ इसकी तैयारी चल रही होती है एक-एक करके सारे कलाकारों को दिखाया जाता है क्योंकि कल पूरी तरीके से द्रौपदी का स्वयंवर आरंभ हो जाएगा और प्रोमो को दिखाया जा रहा है.
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