Why Krishna Not Married radha in Hindi, In this Post we talk about why lrishna not married to radha and how did radha died in Hindi.
जब जब श्री Krishna का नाम लिया गया है ऐसा कभी नहीं हुआ कि Radha जी का नाम लिया गया. श्री Krishna को उसके अमूमन भक्त राधे Krishna कहते हैं क्योंकि यह दुख शब्द के दो नाम सिर्फ एक दूसरे के लिए बने हैं और इन्हें कोई अलग नहीं कर सकता लेकिन तब क्या हुआ था?
जब Krishna को, Radha को छोड़कर जाना पड़ा बिना Krishna की Radha की आखिरी रात कैसी रही होगी यह सवाल के मन में व्याकुलता पैदा कर देता है आज हम Radha के जीवन के दो पन्ने पलटने जा रहे हैं जिसके बारे में हम में से ज्यादातर लोगों को कुछ नहीं पता.
Krishna की Radha और Radha से Krishna को कोई जुदा नहीं कर सकता लेकिन हालात और वक्त में इन्हें भी नहीं छोडा. यह हम सभी जानते हैं कि Krishna का बचपन वृंदावन की गलियों में बीता. नटखट नंदलाल अपनी दिलाओ से सभी को पसंद करते हैं तो कुछ को परेशान भी करते थे लेकिन Krishna के साथ ही वृंदावन की खुशियां थी.
Krishna ने अपनी बांसुरी की मधुर वाणी से सभी गोपियों का दिल जीते लेकिन सबसे अधिक कोई उनके पास भी सम्मोहित था तो Radha थी. Radha Krishna से अधिक प्रेम करती थी और Krishna भी Radha से प्रेम करते थे.
Radha वृंदावन से कुछ ही दूरी पर रैपली नामक गांव में रहती थी. रोजाना Krishna की मधुर बांसुरी की आवाज पे खींची चली आती थी. किन्तु Krishna का जीवन भी साधारण नहीं था धीरे-धीरे बस समय निकट आ रहा था जब Krishna को वृंदावन छोड़कर मथुरा जाना था.
Krishna के दुष्ट मामा कंस का अत्याचार चरम सीमा पर पहुंच चुका था और ऐक दिन कंस ने उन्हें और उनके भाई बलराम को मथुरा आमंत्रित किया और इसी बात से वृंदावन नगरी में सभी के भीतर एक डर पैदा हो गया था. वृंदावन में जैसे मातम छा गया था, मां यशोदा तो परेशान थी क्योंकि उनका दिल का टुकड़ा उनसे दूर जा रहा था लेकिन Krishna की गोपियां कुछ कम उदास नहीं थी.
दोनों को लेने के लिए कंस के द्वारा रथ लाया गया था. सभी उस रथ के आसपास घेरा बना लिया. यह सोचकर की Krishna को वह नहीं जाने देंगे. उधर Krishna को Radha की चिंता सताने लगी थी और वह सोच रहे थे कि जाने से पहले एक बार Radha से मिलले.
Krishna मौका पाकर चुप कर वहां से निकल गए और फिर उन्हें Radha मिली जिसे देखते ही वह कुछ कह न सके. Radha Krishna की मिलन की कहानी बहुत अद्भुत है दोनों ना तो कुछ बोल रहे थे ना कुछ महसूस कर रहे थे बस चुपचाप Radha Krishna को ना केवल चाहती थी बल्कि उनकी मन और उनके दिमाग को भी समझते थे.
Krishna के मन में क्या चल रहा है. Radha पहले से ही समझ जाती थी इसलिए शायद उन दोनों को उस समय कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं पड़ी और Radha को अलविदा कहकर Krishna लौट आए और आकर गोपियों को भी समझाया और अनुमति लेने के बाद वहां से चले गए और वृंदावन Krishna के बिना सूना हो गया. ना कोई चहल-पहल थी नाही Krishna की लीलाओं.सब लोग Krishna के जाने के गम में डूबे थे.
दूसरी और Radha को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि उनकी दृष्टि में Krishna कभी उनसे अलग हुए ही नहीं थे शारीरिक रूप से जुदाई मिला वह उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता था. कुछ महत्वपूर्ण था तो Radha Krishna का भावनात्मक रूप से हमेशा जुड़ा रहना.
Krishna के जाने के बाद Radha पूरे दिन उन्हीं के बारे में सोचती रहती. ऐसे ही लंबा अरसा बीत गया लेकिन आने वाले समय में Radha की जिंदगी मे क्या होने वाला है यह Radha को अंदाजा भी नहीं था.
हर लड़की के साथ जो होता है वही Radha के साथ भी हुआ. माता-पिता के दबाव में आकर Radha को विवाह पड़ा और विवाह के बाद अपना जीवन घर के काम मे लगाने लगी लेकिन दिल के किसी कोने में अभी भी Krishna प्रेम करती थी.
कई वर्षों बाद एक समय आया जब Radha काफी व्रुधं हो गई थी और वे एक रात Radha घर से चुपकेसे घर से निकल गए और घूमते घूमते Krishna की द्वारका नगरी जा पहुंची. वहां पहुंच कर Radha ने Krishna से मिलने के लिए निवेदन किया.
लेकिन पहली बार उन्हे मौका था तब हुआ जब Krishna काफी लोगों के बीच घिरे हुए खड़े थे. Radha को देखते ही Krishna की खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन तब भी दोनों में कोई वार्तालाप नहीं हूं क्योंकि अभी भी उन्हें बोलने की आवश्यकता नहीं थी.
Radha कौन थी यह द्वारका नगरी में कोई नहीं जाता था Radha के अनुरूप पर किसने उन्हें महल में उन्हे देविका के रूप नियुक्त कर दीया था. Radha दिन भर महल में रहती, महल से संबंधित कार्यों को देखते और जब भी मौका मिलता दूर खड़े होकर Krishna के दर्शन कर लेती थी.
लेकिन Radha के मंन में धीरे-धीरे एक भय पैदा हुआ था. जो समय के साथ बढ़ता चला गया. उन्हें श्री Krishna से दूर जाने का डर सता रहा था. उनकी भावनाएं उन्हें Krishna के पास नहीं रहने देती थी. साथ ही, बढ़ती उम्र भी उन्हे Krishna से दूर ले जा रही थी. फिर एक दीन Radha महल से चुपके से निकल गई.
Radha नहीं जाती थी कि वह कहां जा रही है आंखें मार्ग पर क्या मिलेगा फिर भी वह चली जाती है. किन्तु Krishna सब जानते थे. इसलिए अपने अंतर्मन में भी जानते थे कि Radha कहां जा रही है फिर वह समय आया जब Radha को Krishna आवश्यकता पडी, बस भी किसी तरह Krishna को देखना चाहती थी और जब यह तमन्ना उनके मन में आई Krishna उनके सामने प्रकट हो गये.
Krishna को सामने देखकर Radha बहोत खुश हो गई. वह समय निकट आ गया था. जब Radha अपने प्राण त्याग कर दुनिया को अलविदा करना चाहती थी. Krishna Radha से प्रश्न किया कहा कि उनसे कुछ वाक्य मागे. किन्तु Radha ने मना कर दिया.
Krishna ने फिरसे कहा कि जीवन भर Radha तुमने मुझसे कभी कुछ नहीं मांगा. Krishna के अनुरोध पर Radha ने उनसे आखिरी बार बांसुरी बजाने के लिए कहा और Krishna बिना देरी किए बांसुरी को निकाला और बेहद मधुर बजाने लगे और बांसुरी की आवाज जैसे ही उनके कानों में गई Radha ने अपनी आंखें बंद कर ली और धीरे-धीरे Radha ने अपना शरीर त्याग दिया.
उनकी चाहत ही Krishna Radha को अपनी गोद में लेकर और हाथों से चिपक कर रोने लगे उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और उसी दिन के बाद Krishna ने बांसुरी को कभी नहीं बजाया.
Radha और Krishna के जीवन की कहानी अगर आपको पसंद आए तो इसे करें शेयर करें कमेंट करें. Thanks for Read this Post.
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