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आज के episode मे दीखाया जायेगा की राधा कृष्ण को कहती है की मुझे प्रतिक्षा रहेगी की तुम कब लोटो कर आओगे और अनंत तक मेरे लट्ट को सवारोगे कृष्ण. और राधा चुटकी बजाकर समय को शुरु कर देती है. वह कान्हा की आरती करती है और उसका तीलक करती है फिर कृष्ण उग्रपत और नन्द से आशीर्वाद लेते है. नन्द कहते है की मुझे विदा मत दो क्योकी मे तुम्हारे साथ मथुरा आऊगा मे तुमसे पहले मथुरा पहोच जाऊगा क्योकी तुम्हारे साथ किसी को रहना आवश्क है.
फिर वह मैया को अलविदा करते है और व्रिदावन और बरसाना से धन्यवाद करते है. वह जा रहे होते है और राधा कहती है की अभी मेरे दो वचन शेष है. कृष्ण और दाऊ बैलगाड़ी मे बैठ ते है और गाऊ कहते है की हम तो जा रहै है कृष्ण. राधा के दो वचन कैसे पूर्ण होगे.
दुसरी और कन्स को संदेश मिलता है की कृष्ण मथुरा जाने केलिऐ निकल चुका है. कन्स कहता है की बस, मुझे महादेव को प्रसन्न करना है. महादेव कहते है की कन्स के यज्ञ के सफल होने पर मुझे कन्स को वरदान देने का कर्म करना होगा.
दुसरी और राधा कृष्ण और दाऊ के रथ के पास आकर कहती है की उसकी सभी सखीया उसके साथ है. साऱी सखीया रथ का पैया पकड लेती है. और वह रो रो कर कहती है की कृष्ण हम तुम्हें ऐसे ही नही जाने नही देगे. तुमने हमे जीवन का अर्थ सीखाया, रात्री के अधकार मे किस प्रकार से अपने वास्तविक जीवन को जीते है, प्रेम क्या होता है यह सब तुमने सीऱाया है. दाऊ और अक्रु आगे जाने लगते है और वह कृष्ण की प्रतिक्षा करेगे. ताकी गोपिया कृष्ण को ठीक से विदा तर सके. गोपिया कृष्ण को रुक जाने को कहते है. किन्तु कृष्ण कहते है की मेरा कार्य आगे बढने से ही पुर्ण होगा, राधा इन्हें समझाओ.
राधा कहती है की यदी तुम जाना चाहते हो तो तुम्हें इन सब के विरोध का अंत करना होगा. इनके केश सवारने होगे क्योकी इनके तुम्हारे प्रतीक सखा प्रेम इतना परिशुद्ध है जीतना मेरा तुम्हारे प्रतीक और तभी कृष्ण धोशणा करते है की जब जब राधा कृष्ण को याद किया जायेगा तब तब गोपियो को भी याद किया जायेगा.
फिर कृष्ण बारी बारी सभी गोपियो बाल अपने हाथो से सवारते है. फिर गोपिया कहती है की अब हम तुम्हें जाने केलिऐ नही रोकेगे बस अंतिमबार बाँसुरी सुना दो कृष्ण. तभी राधा कहती है की हा कृष्ण, मेरी भी एक इच्छा है. एक अंतिमबार मेरे साथ विरहरास करलो कृष्ण एक अंतिमबार मे तुम्हारे साथ रास के मुक्त रंगो के साथ मुक्त होना चाहती हु. और कृष्ण बांसुरी बजाना शुरू होता है. राधा अपने द्रारा सभी रासो को याद करती है जीसमे वह कान्हा का साथ होती है.
रास के बाद गोपिया रो रो कर कहती है की बस कृष्ण, हमको विदा मत करना. वह कृष्ण से आज्ञा लेकर खुद ही चली जाती है. और राधा कहती है एक अंतिम वचन की पुरती अभी शेष है. कृष्ण फिर तुम सदा - सदा केलिए चले जाओगे.
दुसरी और कन्स के यज्ञ के कारण महादेव प्रगट होना पडता है और कन्स उसके यज्ञ का फल मागता है. तो महागेव उन्हें वरदान देते है की जब तक यह शिव धनूष नही टुटेगा, तब तक कन्स हार नही सकता और ना ही उसका वंध हो सकता है. महादेव कहते है की मेरे आराध्य नारायण के अतिरिक्त कोई नही तोड सकता. स्वयम् मे भी नही और महादेव चले जाते है. फिर कन्स खुशी से पागल हो जाता है. कन्स कहता है की अब मे अमर हो गया, अब वह कृष्ण मुझे कभी नही हरा सकता. ओर आज का episode यही पे खतम हो जाता है.
अगले episode मे हम देखेगे की राधा कृष्ण रंग के साथ खेवते है. राधा खुद कृष्ण को बरसाना की सीमा मे ले जाती है. फिर कृष्ण कहते है की मे आ रहा हु मामाश्री, आपका अंत नीकट आ रहा है.
बस आज के episode मे बस इतना ही अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आ रही हो तो हमे follow कीजिये ताकी हमारी Next Post की update आपको मिलती रहे.
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फिर वह मैया को अलविदा करते है और व्रिदावन और बरसाना से धन्यवाद करते है. वह जा रहे होते है और राधा कहती है की अभी मेरे दो वचन शेष है. कृष्ण और दाऊ बैलगाड़ी मे बैठ ते है और गाऊ कहते है की हम तो जा रहै है कृष्ण. राधा के दो वचन कैसे पूर्ण होगे.
दुसरी और कन्स को संदेश मिलता है की कृष्ण मथुरा जाने केलिऐ निकल चुका है. कन्स कहता है की बस, मुझे महादेव को प्रसन्न करना है. महादेव कहते है की कन्स के यज्ञ के सफल होने पर मुझे कन्स को वरदान देने का कर्म करना होगा.
दुसरी और राधा कृष्ण और दाऊ के रथ के पास आकर कहती है की उसकी सभी सखीया उसके साथ है. साऱी सखीया रथ का पैया पकड लेती है. और वह रो रो कर कहती है की कृष्ण हम तुम्हें ऐसे ही नही जाने नही देगे. तुमने हमे जीवन का अर्थ सीखाया, रात्री के अधकार मे किस प्रकार से अपने वास्तविक जीवन को जीते है, प्रेम क्या होता है यह सब तुमने सीऱाया है. दाऊ और अक्रु आगे जाने लगते है और वह कृष्ण की प्रतिक्षा करेगे. ताकी गोपिया कृष्ण को ठीक से विदा तर सके. गोपिया कृष्ण को रुक जाने को कहते है. किन्तु कृष्ण कहते है की मेरा कार्य आगे बढने से ही पुर्ण होगा, राधा इन्हें समझाओ.
राधा कहती है की यदी तुम जाना चाहते हो तो तुम्हें इन सब के विरोध का अंत करना होगा. इनके केश सवारने होगे क्योकी इनके तुम्हारे प्रतीक सखा प्रेम इतना परिशुद्ध है जीतना मेरा तुम्हारे प्रतीक और तभी कृष्ण धोशणा करते है की जब जब राधा कृष्ण को याद किया जायेगा तब तब गोपियो को भी याद किया जायेगा.
फिर कृष्ण बारी बारी सभी गोपियो बाल अपने हाथो से सवारते है. फिर गोपिया कहती है की अब हम तुम्हें जाने केलिऐ नही रोकेगे बस अंतिमबार बाँसुरी सुना दो कृष्ण. तभी राधा कहती है की हा कृष्ण, मेरी भी एक इच्छा है. एक अंतिमबार मेरे साथ विरहरास करलो कृष्ण एक अंतिमबार मे तुम्हारे साथ रास के मुक्त रंगो के साथ मुक्त होना चाहती हु. और कृष्ण बांसुरी बजाना शुरू होता है. राधा अपने द्रारा सभी रासो को याद करती है जीसमे वह कान्हा का साथ होती है.
रास के बाद गोपिया रो रो कर कहती है की बस कृष्ण, हमको विदा मत करना. वह कृष्ण से आज्ञा लेकर खुद ही चली जाती है. और राधा कहती है एक अंतिम वचन की पुरती अभी शेष है. कृष्ण फिर तुम सदा - सदा केलिए चले जाओगे.
दुसरी और कन्स के यज्ञ के कारण महादेव प्रगट होना पडता है और कन्स उसके यज्ञ का फल मागता है. तो महागेव उन्हें वरदान देते है की जब तक यह शिव धनूष नही टुटेगा, तब तक कन्स हार नही सकता और ना ही उसका वंध हो सकता है. महादेव कहते है की मेरे आराध्य नारायण के अतिरिक्त कोई नही तोड सकता. स्वयम् मे भी नही और महादेव चले जाते है. फिर कन्स खुशी से पागल हो जाता है. कन्स कहता है की अब मे अमर हो गया, अब वह कृष्ण मुझे कभी नही हरा सकता. ओर आज का episode यही पे खतम हो जाता है.
अगले episode मे हम देखेगे की राधा कृष्ण रंग के साथ खेवते है. राधा खुद कृष्ण को बरसाना की सीमा मे ले जाती है. फिर कृष्ण कहते है की मे आ रहा हु मामाश्री, आपका अंत नीकट आ रहा है.
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