Star bharat radha krishna episode 29 Nov, 2019 in hindi on radha krishna serial website. radha krishna serial related radha krishna serial songs download radha krishna status in hindi and gujarati on radha Krishna serial website.
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आज के episode मे दीखाया जायेगा की कन्स कारावास मे आता है और देवकी को कहता है की यह दीया तो बुजा ही नही तो देवकी कहती है तुम इस दीये को बुजते हुए नही देख पाओगे. यह दीसा तब बुजेगा जब कृष्ण तेरा वधं करेगा तभी एक सैनिक कन्स को बताता है की कृष्ण चक्र के अन्दर धुस गया है. मथुरा वासीओ ने खुद कृष्ण को उस चक्र के अन्दर जाते हुए देखा है. कन्स कहता है की मे उस चक्र के केंद्र मे आकर उस कृष्ण का वधं करुगा फिर कन्स अपने भाई को चक्र का पहला दरवाजा तोडने को कहता है. उसका भाई कहता है की एकबार दरवाजा तोडने पर हम उसे वापस नही बना सकते है. तो कन्स कहता है की मेने कृष्ण को समस्त बरसाना मे ढुढा किन्तु वह नही मिला और समस्त मथुरा वासीयो ने उसे भीतर देखा है, तोडदो इस दरवाजे को .
कन्स के भाई को लगता है की कृष्ण कन्स का रुप लेकर आया है वह अपने सैनिक को कन्स पर आक्रमण करने को कहता है. किन्तु कन्स एक ही मारसे कन्स अपने भाईओ और उसके सैनिको को हरा कर सारे दरवाजे को तोडने लगता है. कन्स सभी दरवाजे को तोडकर घनुष के पास पहोच जाता है किन्तु कन्स को वहापे उसे मोरपख के अलावा और कुछ नही दीखता है.
कन्स के भाईओ कहते है की कही एेसा तो नहीं, की कृष्ण ने आपके भय का लाभ उठा कर अापके साथ खेल खेलकर अापका चक्र आपके हाथो तोडवा दीया. किन्तु कन्स हसता है और कहता है की मै अभी भयभीत नही हु. क्योकी कृष्ण इस घनुष को नहीं तोड पायेगा, मै अमर हु. दुसरी और कृष्ण मथुरा वासीयो को कहता है की अष्टचक्र टुट चुका है. और दीव्य धनुष भी आज रात टुटेगा, जीसे यह बच्चा तोडेगा ओर से मेरा आप सबसे वचन है.
दुसरी और कुटिला बहोत खुश है क्योकी राधा कृष्ण - कृष्ण का जाये नही कर सकती है. राधा मन मे कृष्ण को स्मरण करते हुए कहती है की अब मे कैसे तुम्हारा नाम लु? फिर राधा को कृष्ण दीखाई देते है और राधा उन्हें कहती है की बात अगर प्रेम की हो मै समझ गयी की मन की वाणी भी उतनी शक्तिशाली है. फिर राधा मन ही मन कृष्ण का नाम लेती है. जो कुटिला को साफ सुनाई देता है.
जब वह उग्रपत को कहती है की राधा कृष्ण का नाम ले रही है तो उग्रपत उसे पागल कहते है क्योकी राधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा है. कुटिला को राधा के प्रेम की ध्वनि जोर जोर से सुनाई देती है. किन्तु वह कुछ नही कर पाती है क्योंकि केवल उसी को ही यह सुनाई दे रही है.
दूसर और सभी लोग धनुष तोडने केलिए कृष्ण की प्रतीक्षा कर रहे होते है. सभी लोग एकत्रित होते है क्योकी कृष्ण आयेगे. कृष्ण दाऊ को कहते है की आज रात धनुष टुटेगा.
कृष्ण यमुना मै आते है कृष्ण अपना पैर यमुना मै डालते है ओर जैसा कृष्ण के जन्म के दीन हुआ था वैसा ही कृष्ण को यमुना मार्ग देती है. फिर लोग बारिश मै भी कृष्ण की प्रतिक्षा करते है. यहा पे कन्स का मन भी विचलित होता है जैसे कृष्ण के जन्म पर हुआ था.
कृष्ण कहते है की आज एकबार फिर से समय की गति को रोकना होगा. कृष्ण अपनी चुटकी बजाकर सबको रोक लेते है केवल बच्चा जाग रहा होता है. कृष्ण उस बच्चे को चुप चाप आपने साथ चलने को कहते है. दोनो धनुष के पास पहोच जाते है फिर जैसे वह बच्चा धनुष के पास पहोचता है तभी कृष्ण अपने आखो से उस बच्चे की गति को रोक लेते है. फिर कृष्ण खुद जाकर उस घनुष को तोडने की बात करते है और आज का episode यही पे खतम हो जाता है.
कल के episode हम देखते है की कृष्ण के सामने महादेव होते है. कृष्ण महादेव को कहते है की आपने यह धनुष कन्स की रक्षा केलिए दीया था. आपरे सामने मै यह धनुष तोडने दा रहा हु आप आज्ञा दीजिए. और दुसरी सीन मै हम देखते है की कन्स के हाथ पर धनुष के दो टुकडे होते है. और उसे देखकर कन्स अत्यंत भयभीत हो जाता है. कन्स कहता है की घनुष टुट गया है अर्थात् मै अब सुरक्षित नही हु. मैरी मृत्यु मेरे पास आ रही है. और वह बहोत ज्यादा भयभीत हो जाता है. कृष्ण कहते है की तुम्हारे हर कर्म का दंड देने मै आ रहा हु.
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दुसरी और कुटिला बहोत खुश है क्योकी राधा कृष्ण - कृष्ण का जाये नही कर सकती है. राधा मन मे कृष्ण को स्मरण करते हुए कहती है की अब मे कैसे तुम्हारा नाम लु? फिर राधा को कृष्ण दीखाई देते है और राधा उन्हें कहती है की बात अगर प्रेम की हो मै समझ गयी की मन की वाणी भी उतनी शक्तिशाली है. फिर राधा मन ही मन कृष्ण का नाम लेती है. जो कुटिला को साफ सुनाई देता है.
जब वह उग्रपत को कहती है की राधा कृष्ण का नाम ले रही है तो उग्रपत उसे पागल कहते है क्योकी राधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा है. कुटिला को राधा के प्रेम की ध्वनि जोर जोर से सुनाई देती है. किन्तु वह कुछ नही कर पाती है क्योंकि केवल उसी को ही यह सुनाई दे रही है.
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कृष्ण यमुना मै आते है कृष्ण अपना पैर यमुना मै डालते है ओर जैसा कृष्ण के जन्म के दीन हुआ था वैसा ही कृष्ण को यमुना मार्ग देती है. फिर लोग बारिश मै भी कृष्ण की प्रतिक्षा करते है. यहा पे कन्स का मन भी विचलित होता है जैसे कृष्ण के जन्म पर हुआ था.
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