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जैसाकी आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about कया होने वाला है radha krishna serial, आज के episode.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की उग्रपत ओर जटिला गौशाला मे राधा को देखने केलिऐ आते है ओर वहा पे गोपिका ओर राधा दोनो ही बाहर निकलती है राधा कहती है की आपने गौशाला का दरवाजा क्यो बंद कर दीया मे तो पहले से ही गौशाला मे थी. जेसे ही गोपिका आयी आपने दरवाजा बन्द कर दीया. उग्रपत राधा गोपिका की प्रिय सखी है, वह उसे मिलने क्यु ना आये ओर फिर दोनो वहा से चले जाते है
फिर राधा कृष्ण को कहती है की यही है राधा का जीवन फिर कृष्ण कहती है की बोहत रात हो गई है चलो अब मुझे घर जाने दो फिर राधा कहती है की उन सारी रात्री का स्मरण करो जब तुम मेरे लिये बासुरी बजाकर बुलाते थे ओर तुम्हारे साथा पुरी रात बात करती थी ओर तुम मुझे घर जाने नही देते थे. आज जब तक मेरा मन नही मान लेता मे तुम्हें जाने नही दुगी.
फिर राधा कृष्ण को अपने रुप मे आने को कहते है बीना माया से ओर वह बाहर चली जाती है फिर कृष्ण भी अपने रूप मे आते है फिर राधा कबती है की मेरे पास ऐक पहेली है यदी तुमने उसको सुलजा लीया तो मे तुम्हें जाने दुगी.
" जगल मे धान चुनो,
धरा से उनका प्रेम,
गईया मा भी करे सहायता,
तो जगे राधा मे कृष्ण प्रेम."
तो बताउ क्या है ऐसा फिर कृष्ण सोचने लगते है ओर कुछ सोच नही पाते इसलिए वहा से जंगल तरफ भागने लगते है राधा भी उनके पिछे पिछे भागने लगती है फिर कृष्ण रुक जाते है ओर राधा देखती है की बोहत सारे दीये सजे हुऐ होते है ओर कृष्ण कहते है की मेने तुम्हारी पहेली सुलझाली राधा, इसलिए मे तुम्हें यहा पे लाया हु.
मेने जगल मे किसके लिऐ धान चुराया था, मेने धरा से ऐक बार फल भी मागा था ओर तीसरी पक्ति गोमाती भी करे सहायता, इसका मतलब बै की गोमाता ने ही मुझे दुध दिया था उसकी सहायता से मेने पहली बार अपने हाथो से खीर बनपाया था . अर्थात पहेली का अर्थ है खीर ओर यही थो वह शण जब राधा मे पहेली बार कृष्ण प्रेम जागा था.
जैसाकी आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about कया होने वाला है radha krishna serial, आज के episode.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की उग्रपत ओर जटिला गौशाला मे राधा को देखने केलिऐ आते है ओर वहा पे गोपिका ओर राधा दोनो ही बाहर निकलती है राधा कहती है की आपने गौशाला का दरवाजा क्यो बंद कर दीया मे तो पहले से ही गौशाला मे थी. जेसे ही गोपिका आयी आपने दरवाजा बन्द कर दीया. उग्रपत राधा गोपिका की प्रिय सखी है, वह उसे मिलने क्यु ना आये ओर फिर दोनो वहा से चले जाते है
फिर राधा कृष्ण को कहती है की यही है राधा का जीवन फिर कृष्ण कहती है की बोहत रात हो गई है चलो अब मुझे घर जाने दो फिर राधा कहती है की उन सारी रात्री का स्मरण करो जब तुम मेरे लिये बासुरी बजाकर बुलाते थे ओर तुम्हारे साथा पुरी रात बात करती थी ओर तुम मुझे घर जाने नही देते थे. आज जब तक मेरा मन नही मान लेता मे तुम्हें जाने नही दुगी.
फिर राधा कृष्ण को अपने रुप मे आने को कहते है बीना माया से ओर वह बाहर चली जाती है फिर कृष्ण भी अपने रूप मे आते है फिर राधा कबती है की मेरे पास ऐक पहेली है यदी तुमने उसको सुलजा लीया तो मे तुम्हें जाने दुगी.
" जगल मे धान चुनो,
धरा से उनका प्रेम,
गईया मा भी करे सहायता,
तो जगे राधा मे कृष्ण प्रेम."
तो बताउ क्या है ऐसा फिर कृष्ण सोचने लगते है ओर कुछ सोच नही पाते इसलिए वहा से जंगल तरफ भागने लगते है राधा भी उनके पिछे पिछे भागने लगती है फिर कृष्ण रुक जाते है ओर राधा देखती है की बोहत सारे दीये सजे हुऐ होते है ओर कृष्ण कहते है की मेने तुम्हारी पहेली सुलझाली राधा, इसलिए मे तुम्हें यहा पे लाया हु.
मेने जगल मे किसके लिऐ धान चुराया था, मेने धरा से ऐक बार फल भी मागा था ओर तीसरी पक्ति गोमाती भी करे सहायता, इसका मतलब बै की गोमाता ने ही मुझे दुध दिया था उसकी सहायता से मेने पहली बार अपने हाथो से खीर बनपाया था . अर्थात पहेली का अर्थ है खीर ओर यही थो वह शण जब राधा मे पहेली बार कृष्ण प्रेम जागा था.
फिर राधा कृष्ण को बीठाकर खीर खिलाते है फिर कृष्ण ओर राधा ऐक दुसरे को खीर खिलाते है फिर कृष्ण राधा से आग्या लेकर घर जाते है तब राधा कृष्ण का हाथ पकड कर कहते है की यदी अभी नही जाने दुगी तो, फिर कृष्ण कहते है की मे करभी क्या सकता हु राधे, अब तुम ही कृपा कर सकती हो. फिर राधा उन्हें जाने देते है.
वहा पे दाऊ जाग रहे होते है ओर कृष्ण का इन्तजार कर रहे होते है. कृष्ण दाऊ से छुपने की कोशिश करते है किन्तु दाऊ उन्हें देख लेते है कृष्ण दाऊ का गुस्सा शात करने को कहते है फिर दाऊ उन्हें वल्लभ के बारे मे पुछते है वह कहते है की ऐसा को नसा मित्र है जिसके बारेमे मे नही जानता फिर कृष्ण कभी उन्है नाना का या कभी उन्हें दादा का मित्र बताते है फिर कृष्ण दाऊ को ठिक से उल्लू नही बना पाते है तब कृष्ण कहते है " की.. आप आये थे मेरे साथ महा-बाबा के भाई के घर कुरुशेत्र फिर दाऊ उसे मना कर देते है, तब कृष्ण कहते है की हा बस,बस वही काही मित्र है वल्लभ.
फिर दाऊ वल्लभ से पुछने जाते है तभी कृष्ण याद आता है की वहा पे कोई वल्लभ नही है क्योकी वल्लभ राधा बनकर अपने घर मे है फिर कृष्ण दोड कर दरवाजे के पास खडे हो जाते है ओर कहते है की मे अाज रात अपने मित्र के साथ रहुगा आपने जो किया है वह अच्छा नही किया बोहत दुख हुआ है. आप जाईये, फिर दाऊ वहासे चले जाते है ओर कृष्ण गौशाला मे ही रहते है ओर परेशान होकर कहते है की मे तो स्वयम अपनी ही लिला मे फसता जा रहा हु.
फिर दाऊ वल्लभ से पुछने जाते है तभी कृष्ण याद आता है की वहा पे कोई वल्लभ नही है क्योकी वल्लभ राधा बनकर अपने घर मे है फिर कृष्ण दोड कर दरवाजे के पास खडे हो जाते है ओर कहते है की मे अाज रात अपने मित्र के साथ रहुगा आपने जो किया है वह अच्छा नही किया बोहत दुख हुआ है. आप जाईये, फिर दाऊ वहासे चले जाते है ओर कृष्ण गौशाला मे ही रहते है ओर परेशान होकर कहते है की मे तो स्वयम अपनी ही लिला मे फसता जा रहा हु.
दुसरी ओर हम देखते है की कंन्स प्रल्लमबासुर को कृतीकार बनाते है ओर कहते है की कृष्ण को छुकर तुरत ही उस बरसाना से चले आना क्योकी कृष्ण मायावी है वह मुर्तीकार का रुप लेकर अयंंक के साथ चला जाता है ओर आज का episode यही पे खतम हो जाता है.
कल के episode हम देखते है की कन्स का भेजा हुआ असुर जटिला को कहता है की मुझे कृष्ण की प्रिय वस्तु को स्पर्श करना है फिर जटिला कहती है की अब राधा ही देगी कृष्ण की प्रिय वस्तु.
अगले सीन मे हन देखते है की राधा जटिला को कृष्ण का मोरपख देती है जिसे लेकर वह असुर को देती है ओर वह असुर अपने हाथ मे लेता है
बस आज के episode मे बस इतना ही अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आ रही हो तो हमे follow कीजिये ताकी हमारी Next Post की update आपको मिलती रहे.
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