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जैसाकी आपने thumbnail देखते पता चल गया है की what a we going to talk about कया होने वाला है radha krishna serial.
आज के episode is यह दीखाया जायेगा की इसमे हम देखते है की गोपिका भारी भारी मटके लेकर यमुना मे पानी भरने केलिए आती है. वह सारी गोपियो को कहते है की पहले मुझे पानी भरने दोना मेरे पास बहुत सारे काम है मेरे जीवन मे बहुत दुख है अयंक ओर जटीला काकी की वजेसे. वो सबको गटाकर पहले पानी भर लेते है जिससे बाकी गोपिया नाराज होजाते है ओर फिर सभी गोपिया एक-दुसरे की सहायता करते है वह सब एक दुसरे के सर मे मटके डालते है परन्तु गोपिका की सहायता कोई नही करते सर पे मटके डाल कर सभी गोपिया चली जाती है ओर यहा पे गोपिका (कृष्ण) को खुद ही सरपे मटके डालने पडते है ओर मुश्किल से मटके लेकर वनमे जा रही होति है.
ओर रास्तेमे वल्लभ (राघा) हाथ मे पथ्थर लेकर खडे होते है की कब आये ताकी वह गोपिका की मटकी फोड सके. कृष्ण बोहत विनती करते है की मेने बहोत महेनत की है, मेहरबानी करके मेरे मटके को मत फोडना ओर तभी वल्लभ (राधा) कहती है की अच्छा दजाव नहीं फोडती तुम्हारे मटके ओर जेसे ही कृष्ण सामने से जाते है तभी राघा पीछे से सारे मटके फोड देते है ओर कृष्ण पुरे भीग जाते है फिर राघा कहती है की यही तो है राघा का जीवन, अब पता चला की तुम मुझे कितमे सताते थे , जाउव नये मटके लेके आउ ओर फिर से यमुना मे पानी भरो उसके बाद राघा उसे एक वृक्ष के पिछे जाने को कहते है ओर वहा पे पाच नये मटके रखे होते है फिर गोपिका वल्लभ को धन्यवाद करती है.
दुसरे ओर पुजा की तैयारी होती है ओर केले के स्तभु कोन लाया इसमे दाउ ओर अयंक का विवाद होजाता है ओर वहा पे वल्लभ सबके सामने कहते है की मे लाया हु इस बेल्लगाडी से ओर तभी दाउ उसे काम करवामे केलिए अपने साथ लेजाते है.
दुसरी ओर गोपिका बडी मुश्किल होती है एक तो खाना बन नही रहा होता है ओर उपर से खाना जल ही जाता है एर तभी जटीला आती है की अभी के अभी पुरीया बनाओ ओर एक भी पुरी जली तो तुम्हें मे घर से बहार कर दुगी यह कह कर जटीला चली जाती है ओर फिर शुका आता है ओर कहता है की आज रात मे क्या भोजन बन रहा है? भोजन मे स्वाद तो आयेगा ना यामे कोई ओर प्रबन्द करु ओर होपिका कहती है हा, तुम भी छीडकदो जलेपे नमक, फिर पुरा काम करने के बाद गोपिका सोचती है की सनघ्या मे राघा से मिलने केसे जाउगा.
सनघ्या मे राघा बासुरी बजाकर कृष्ण को बोलाती है ओर कृष्ण सारा काम नीपटाकर राघा के पास भागने लगती है लेकिन वह देर से आते है ओर रीघा कहती है की जब मुझे विलब होता है तब तुम क्या करते थे, रुष्ट होजाते थे ओर मे तुम्हें पीछे-पीछे घुम कर तुम्हें मनाती थी, मे भी जा रही हु वो क्या है ना पुजा मे सतनारायण की शिला स्थापित होने वाली है फिर कहती है की मेरा दीन तो बहुत अच्छा गया पुरे दीन बासुरी बजाई, गोपियो को छेडा, यशोदा मा का बहुत सारा प्रेम मिला, मटकी फोडे मे तो सोच रही हु की मेने ये सब पहले क्यु नही कीया फिर कृष्ण राघा को मनाने केलिए उनके पिछे पिछे घुमते है उनको मनाने केलिए.
दुसरी ओर कन्स के को-भवन मे अकेले बंद कंस के पास शुक्राचार्य आते है ओर कंस शुक्राचार्य से पुछते है की वह कृष्ण से कब मिले ओर कहा?, यानी की वह शुक्राचार्य से भविष्य जानना चाहते है ओर शुक्राचार्य उसे कालदंड नामक शस्त्र देते है जीसकी वजेसे वह भुत ओर भविष्य मे किसी को भी वतमान मे ला सकता है शुक्राचार्य कहते है की तुम इस का प्रयोग अमावस की रात मे करना कालचक्र को घीमा कर देना ओर उस असुर का आहवान तरना जो तुम्हें भविष्य बतादे ओर उस केलिए कंस तैयार होजाता है
दुसरे दीन बरसाना मे पुजा होती है राघा भी अपने रुप मे होती है ओर दाउ वल्लभ को ढुन्ड रहा होता है ओर यहा पे सतनारायण की शिला आती है ओर वह गीर जाती है फिर उग्रपत कहते है की कुछ अशुभ होने वाला है, नारायण रुष्ट है हमसे तभी कृष्ण आते है ओर कहते है की नारायण आपसे रुष्ट नही है काका ओर आज का episode यहा पे खतम हो जाता है.
कल के episode यह दीखाया जायेगा की वल्लभ को गोशाला मे दाउ केद कर देते है ओर वहा पे गोपिका को भी गोशाला मे जटिला बाहर से केद कर देती है ओर फिर जटीला उग्रपत को कहती है राघा इतनी रात को अभी तक घर नही आयी है ओर उग्रपत कहते है की यदी ऐसा है तो राघा को घर सै बाहर जाना बन्द कर दुगा.
बस आज के episode मे बस इतना ही अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आ रही हो तो हमे follow कीजिये ताकी हमारी Next Post की update आपको मिलती रहे.
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